इंद्रधनुष
खिड़की में बैठकर अपनीमैं उसे देखती रहती हूँ,पल में गायब न हो जाएदिल से मिन्नत करती हूँ| मेरी सारी आशाओं मेंरंग खुशी के भरता है,सुंदर-सा वो इंद्रधनुषमेरे मन को मोहित करता है| जीवन में हैं दर्द बहुत सेछुपे मगर मेरे अंदर ही,तन्हाई में आँखों सेबहते वो बनकर मोती भी| किसको ये समझाऊँ मैंकभी डाँट भी… Read More इंद्रधनुष